Product Description
About the book
लेखक के लिए भाषा और भाव दोनों महत्वपूर्ण होते हैं और यह आरती के शब्दों में बेशक देखने को मिलता है मूल रूप से आरती की हिंदी और उर्दू भाषा की चाहत ने उनको एक हिंदी लेखिका ओर कवयित्री बना दिया। आरती ने सॉफ्टवेर इंजीनियर की पढाई की है और अभी वो अहमदाबाद में पूरी तरह से लेखन का काम कर रही है। बचपन से ही सर्जनात्मक कार्यो में उनकी रूचि ही उनकी कलम की पेशकश है। ‘यादों का डाकघर’ आरती का प्रथम काव्य संग्रह है। इस किताब में विभिन्न प्रकार की लघु कविताएं और क्वोट्स है। इससे पहले आरती गुजराती साहित्य में ‘सामीप्य’ कहानी संग्रह दे चुकी है। आरती की ये दूसरी किताब है और मुझे पूरी आशा और विश्वास है की आरती हिंदी – उर्दू साहित्य में भी खरी उतरेगी और भविष्य में एक बेनमून लेखिका एवं कवयित्री हिंदी-उर्दू साहित्य को मिलेगी।
– प्रदिप प्रजापति (लेखक और गीतकार)
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